मछली पालन व्यवसाय क्या है कैसे शुरु करे (मछली पालन इन हिंदी)

Fish Farming Business In Hindi: हम सब जानते है कि मानव कि जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. जिसके कारण मानव के भोजन की भी समस्या उत्पन्न हो चुकी है. ऐसे में मानव अपनी भोजन की आपूर्ति करने के लिए मांस पर निर्भर होने लगा है. जैसे मछलियां, बकरे का मांस आदि.

मानव का बहुत बङा हिस्सा अपने खाने के लिए मछलियों पर निर्भर है चुंकि यह प्रोटिन का बहुत ही अच्छा तथा भरपूर श्रोत है. इसलिए मनुष्य इसे भोजन के रुप में बड़ी रुचि के साथ खाता है. इसी कारण मछली पालन काफी तेजी से बढ रहा है.

इस लेख में हम आपको एक अच्छे छोटे बिज़नस आईडिया के बारें बताने वाले जिससे आप जान पाएंगे की पैसे कैसे कमाए.

अगर आप सोच रहे है कि “मछली पालन उद्योग क्या है, मत्स्य उद्योग कैसे शुरु करे? तथा मत्स्य उत्पादन में भारत का योगदान”तो आप निश्चिंत रहे. आज हम इस लेख में मत्स्य उद्योग के बारें में विस्तार से जानेंगे.

मछली पालन व्यवसाय क्या है कैसे शुरु करे (मछली पालन इन हिंदी) Fish Farming Business In Hindi
सामग्री की तालिका

मत्स्य उद्योग क्या है (Fishery Industry In Hindi)

मछली मानव के भोजन का प्रमुख स्रोत है किंतु उस क्षेत्र की जनसंख्या उस क्षैत्र में पायी जाने वाली मछलियों से काफी अधिक है. मछलियों की मांग की पूर्ति करने के लिए उनका पालन जरुरी हो गया था. इसलिए मानव मछली पालन करने लगा.

अर्थात मानव द्वारा कृत्रिम रुप से जलाशयो में मछलियों का पालन-पोषण करना तथा उनका संवर्धन करके उनकी संख्या में वृद्धि करना ही मछली पालन कहलाता है.

बहुत बङे क्षैत्र में कृत्रिम रुप से मछलियों को बेंचने के लिए उनका पालन-पोषण तथा संवर्धन करना, मत्स्य उद्योग कहलाता है. अंग्रेजी में इसे Fish Farming भी कहते है.

मत्स्य उद्योग का इतिहास

हालांकि मछली पालन की परंपरा कई सदियो से चली आ रही है. जिसका प्रमाण कौटिल्य के अर्थशास्त्र तथा राजा मानसोलासा के ग्रंथ है. जिनमें मछली संस्कृति का भी वर्णन किया गया है. अर्थात मानव प्रारंभिक काल से ही मछली का इस्तेमाल भोजन के रुप में करता आ रहा है.

मैं आपको बता दूं कि भारत में सबसे पहले मछली पालन  की शुरुआत पश्चिम बंगाल हुई थी. तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए मछली की मांग की पूर्ति करने के लिए चीन, अफ्रीका, वियतनाम, इण्डोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, कम्बोडिया तथा भारत में मछली पालन  काफी अधिक तेजी के साथ किया जाने लगा.

भोजन की गुणवत्ता सुधार में मछली पालन की भूमिका

अगर हम स्वस्थ रहना चाहते है तो इसके लिए हमारा भोजन संतुलित आहार होना चाहिए. संतुलित आहार से मतलब है कि एक ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटिन, वसा, विटामिन, खनिज लवण आदि उचित मात्रा में शामिल होने चाहिए.

इनमें से प्रोटिन सबसे महत्वपूर्ण है, जो हमारी मांसपेशियो तथा तंतुओ का निर्माण करती है तथा विटामिन व खनिज लवण हमारी शरीर की मुख्य क्रियाओ को क्रियान्वित करते है. संतुलित आहार के रुप में मछली, मांस, दूध, अंडे तथा दालो आदि का इस्तेमाल कर सकते है.

मछली एक ऐसा आहार है, जिसमें ये सभी पोषक पदार्थ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. यह प्रोटिन का काफी अच्छा श्रोत है. मछलियों में पानी 70-80 प्रतिशत, प्रोटिन 13-22 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1-3.5 प्रतिशत तथा चर्बी 0.5 से 2.0 प्रतिशत पाया जाता है.

मछलियों में खनिज पदार्थ के रुप में मैग्नीज, कैल्शियम, पौटेशियम, सल्फर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा तथा आयोडिन पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होता है. इनके अलावा इनमें राइबोफ्लोविन, पेन्टोथेनिक एसिड, थाइमिन, बायोटिन, नियासिन, विटामिन बी 6 तथा विटामिन 12 भी पाया जाता है.

मछली में इन सभी पोषक पदार्थो की प्रचुरता के कारण इसे से काफी अच्छा आहार माना जाता है.

मछली का महत्व सिर्फ भोजन के रुप में ही नही बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी है. मछली एक जलीय जीव है, जो जलीय पर्यावरण को संतुलन बनाये रखनें में महत्वपूर्ण योगदान निभाता है. हम ऐसा भी कह सकते है कि जिस जल में मछलियां नही होती है, वहां पर जैविक संपदा असामान्य होती है.

  • मीठे पानी में पानी में पायी जाने वाली मछलियां काफी फायदेमंद होती है चुंकि उनमें वसा कम होती है तथा उनमें आसानी से पचने योग्य प्रोटिन होता है.
  • पूरे विश्व में मछलियों की 20,000 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से 2200 प्रजातियां भारत में पायी जाती है.
  • गंगा नदी प्रणाली मछलियों की लगभग 375 प्रजातिया पायी जाती है तथा उत्तर प्रदेश व बिहार में लगभग 111 प्रजातिया पायी जाती है.

प्रमुख मछलियों के प्रकार और नाम

खाने योग्य मछलियों को उनके रहने के स्थान के आधार पर दो भागो में बांटा जा सकता है, जो निम्न प्रकार से है-

#1.अलवणीय मछलियां

ऐसी मछलिया जो अलवणीय जल अर्थात मीठे जल में रहती है, अलवणीय मछलिया कहलाती है. उदा. रोहू, कतला, रोहू, मृगल, तिलापिया आदि.

#2. लवणीय मछलियां

ऐसी मछलियां जो लवणीय जल अर्थात खारे जल में रहती है, लवणीय मछलिया कहलाती है. उदा.हिल्सा व कैटल फिश आदि.

भारत में मत्स्य उत्पादन की भूमिका

भारत में मछली पालन काफी तेजी से बढा है. मछली पालन के विकास के कारण कई सारे लोगो को रोजगार मिले है तथा इससे कई नए उद्योगो का भी विकास हुआ है. मछली पालन आर्थिक रुप से पिछङे लोगो की आजिविका के प्रमुख स्रोत में से एक है.

मछली उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में दुसरा स्थान रखता है. जो संपूर्ण विश्व के उत्पादन का 7.56 प्रतिशत हिस्सा रखता है. 2019-20 में मछली पालन  क्षैत्र में निर्यात से 46,662.85 करोङ रुपये की आय प्राप्त हुई है.

भारत में मछली पकङने के पांच प्रमुख केंद्र मैगलोग (कर्नाटक), कोच्चि (केरल), चैन्नई (तमिलनाडु), विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) तथा रायचक, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) है. गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है. जबकी अंतर्देशीय मछलियों का सर्वाधिक उत्पाद आंध्रप्रदेश में किया जाता है.

मछली पालन शुरु करने के लिए क्या करें तथा कब करें

अगर आप मछली पालन व्यवसाय शुरु करना चाहते है तो आपको यह जानना जरुरी है कि मछली पालन से संबधित सभी कार्यो के लिए एक समय तय होता है. सफल मछली पालन के लिए तय समय में ही सभी कार्यो को पूरा करना होता है. मछली पालन हेतु आप नीचे बताए गए कलेण्डर की सहायता ली जा सकती है.

क्रमांकतिमाहीमछली पालन के लिए जाने वाले कार्य
1प्रथम तिमाही – प्रथम तिमाही के अंदर अप्रेल, मई व जून महिने को शामिल किया गया है.जिसमें निम्न कार्य किए जाने चाहिए.नए उपयुक्त तालाब का चुनाव या तालाब के निर्माण हेतु उपयुक्त स्थान का चुनाव करना. तालाब की मिट्टी व पानी की जांच करना. मत्स्य पालक विकास अभिकरणो से तकनीकी व आर्थिक सहयोग लेते हुए तालाब सुधार व तालाब निर्माण के कार्य को पूर्ण करना. तालाब से अवांछनीय मछलियों की निकासी करना. इसके लिए एक मीटर गहरे व एक हेक्टेयर के तालाब में 25 कुन्टल महुआ की खली का प्रयोग किया जाता है. तालाब में उर्वर शक्ति को बढ़ाने के लिए 250 कि.ग्रा./हे. चुना तथा10 से 20 कुन्टल/हे./मास गोबर का खाद के रुप में उपयोग करना.  
2द्वितीय तिमाही– इस तिमाही में जुलाई, अगस्त तथा सिंतम्बर माह को शामिल किया जाता है.मत्स्य बीज संचय से पूर्व पानी की जांच अर्थात पी.एच.(7.5 से 8.0), घुलित ऑक्सीजन (5 मि.ग्रा./ली.) की जांच करना. तालाब में मत्स्य बीजो का संचय (25 से 50 मि.मी. के 10,000 से 15,000 मत्स्य बीज) पानी में उपस्थित प्राकृतिक भोजन की जांच करना. गोबर खाद के उपयोग से 15 दिन बाद 49 कि.ग्रा./हे./मास N.P.K. खादो का उपयोग करना.  
3तृतीय तिमाही– अक्टूम्बर, नवम्बर एवं दिसम्बर माह को तृतीय तिमाही के अंदर रखा जाता है. इस तिमाही में निम्न कार्य किए जाने चाहिए.  तालाब में मछलियों की वृद्धि की दर की जांच करना. मछलियों में रोगो की रोकथाम के लिए सीफेक्स का प्रयोग करना अथवा पोटेशियम परमैग्नेट या नमक के घोल में डुबोकर तथा पुन: तालाब में छोङकर मछलियों का उपचार करना. पानी के अंदर प्राकृतिक भोजन की जांच करना तथा उन्हे पूरक आहार देना. ग्रास कार्प मछली के लिए जलीय वनस्पतियो का उपयोग करना. उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए उर्वरको का इस्तेमाल करना.
4चौथी तिमाही– चतुर्थ तिमाही जनवरी, फरवरी तथा मार्च का महीना कहलाता है. इसमें निम्न कार्य किए जाने चाहिए.  बङी मछलियों का निकालकर बेंचना. मछली पालन के लिए लिये गए लोन की किस्त को चुकाना. कामन कार्प मछली के 1500 बीजो का संचय (एक हेक्टेयर तालाब) पूरक आहार देना उर्वरको का उपयोग करना.
मछली पालन शुरु करने की प्रकिया

कम लागत में मछली पालन कैसे करे (How to Start Fish Farming)

हालांकि मछली पालन शुरु करना काफी आसान लगता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है. इस कार्य में बहुत अधिक जटिलता होती है. आपकी छोटी सी गलती भी भारी पङ सकती है. मछली पालन  को शुरु करने के लिए काफी गहन शोध की आवश्यकता होती है.

लेकिन Fish FarmingBusiness को सोच समझकर तथा गहन शोध के साथ करने पर आपको काफी अधिक फायदा भी होता है. मत्स्य उद्योग शुरु करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा लोगो को प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

#1 मछलियों के लिए तालाब बनाना या चयन करना

  • जिस प्रकार से खेती करने के लिए जमीन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार से मछली पालन शुरु करने के लिए भी तालाब की आवश्यकता होती है. मछली पालन के लिए तालाब ग्रामीण क्षैत्र में आसानी से मिल जाते है.
  • अगर आप व्यावसायिक रुप से मछली पालन करना चाहते है तो इसके लिए तालाब बेहद जरुरी होता है.
  • मछली पालन हेतु 0.2 से 5.0 हेक्टेयर तक के तालाबो की आवश्यकता होती है.
  • तालाब का चयन या निर्माण करते समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कम से कम 8-9 माह के लिए पानी भरा रहना चाहिए.
  • यदि हम किसी पहले से निर्मित तालाब का इस्तेमाल कर रहे है तो मछली पालन करने से पहले उनकी मरम्मत की जानी चाहिए.
  • इस बात का ध्यान रखे कि तालाब से पानी का रासाव न हो. रिसाव की जांच करने के लिए तालाब में पानी भरकर तीन से चार दिन के लिए छोङ दे.
  • तालाब की मिट्टी की जल धारण क्षमता तथा उर्वरक क्षमता अधिक होनी चाहिए तथा अम्लीयता व क्षारियता कम होनी चाहिए.
  • तालाब का निर्माण चिकनी मिट्टी पर किया जाना चाहिए.
  • जहां पर तालाब का निर्माण किया जा रहा है, उस मिट्टी की पीएच 6.5 से 8.0 होनी चाहिए. तालाब की मिट्टी का परिक्षण मत्स्य विभाग की प्रयोगशालाओ द्वारा करा लेनी चाहिए.
  • तालाब का निर्माण करते समय  मत्स्य विभाग के अधिकारी की मदद ली जानी चाहिए.

#2 मछली की नस्ल का चुनाव करना

  • अगर आप सफल मछली पालन करना चाहते है तो इसके यह जरुरी है कि आप अच्छी नस्ल की मछली का पालन करे. हालांकि अगर आप भारत में रहते है तो आप किसी भी मछली का व्यवसाय कर सकते है चुंकि भारत की जलवायु सभी मछलियों के अनुकुल है.
  • मछली पालन के लिए मछली की उस नस्ल का चयन करना चाहिए, जिसकी वहां मांग बहुत अधिक हो,जहां पर मछली आसानी से बङी हो सके, आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध हो तथा वातावरण अनुकुलित होना चाहिए.
  • कुछ मछलिया ऐसी होती है तो तालाब के तल में रहती है, कुछ मछलियां तालाब के बीच में रहती है तो कुछ मछलियां ऐसी भी होती है, जो पानी की सतह पर रहती है. आप इनमें से किसी भी मछली का पालन कर सकती है.
  • अगर आप मछली पालन से अधिक लाभ लेना चाहते है तो उसे रोहू, मृगल तथा कतला मछलियों को पालना चाहिए. जिससे आपके तालाब का हिस्सा व्यर्थ नही होता है.
  • मत्स्य उद्योग में अधिक फायदा देने वाली मछलियां निम्न है – कतला, रोहू, मृगल, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प आदि.

#3 मछलियों के लिए खाने की व्यवस्था करना

  • मछलियों में वृद्धि के लिए गुणवत्तायुक्त भोजन बेहद जरुरी होता है. मछलियों के भोजन में किसी भी प्रकार की लापरवाही नही होनी चाहिए.
  • जब आप Fish Business को शुरु करते है, तब तालाब का निर्माण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि उसमें मछलियों को तालाब के अंदर प्राकृतिक भोजन मिलता रहना चाहिए. इसके लिए आप तालाब में गोबर तथा खाद का इस्तेमाल कर सकते है.
  • मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन के साथ बाहरी भोजन भी देना चाहिए. इसके लिए आप चावल, आटे का इस्तेमाल कर सकते है.
  • ध्यान रखे कि बाहरी खाना आवश्यकता पङने पर ही डाले क्योंकि अनावश्यक चीजे आपके तालाब को गंदा करते है.

#4 मछलियों का प्रबंधन व देखभाल करना

  • मछलियों को पौष्टिक व गुणवत्ता युक्त भोजन के साथ उचित प्रबंधन व देखभाल की भी आवश्यकता होती है. जब मछलिया वृद्धि कर रही होती है, तब उन्हे विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है.
  • तालाब को समय समय पर साफ भी करना चाहिए.
  • तालाब के जल की पीएच की जांच नियमित रुप से की जानी चाहिए.
  • उद्यमी को मछलियों को हानिकारक कीङो, जीवो व पक्षियो से बचाने के उचित प्रबंधन करने चाहिए.
  • सर्दी के मौसम में मछलियों में कई तरह के रोग हो जाते है इसलिए समय समय पर चिकित्सक द्वारा उनकी जांच भी की जानी चाहिए. जिनके बारें में हम आगे जानेंगे.

#5 मार्केटिंग करना

Fish Farming Business को शुरु करने से पहले यह सुनिश्चित जरुर करे कि आप इनके उत्पादो को निर्यात कहां तथा कैसे करेंगे?हालांकि आप मछलियों को तथा उनके उत्पादो को अपने स्थानीय क्षैत्रो में भी बेंच सकते है. क्योंकि मछलियों की मांग प्रत्येक क्षैत्र मे रहती है. लेकिन यदि आपका उत्पादन आपके क्षैत्र की तुलना में बहुत अधिक है तो आपको उसे किसी बाहरी क्षैत्र में निर्यात करना चाहिए.

आप मछलियों को भारत के किसी भी हिस्से में अच्छी कीमतो में बेंच सकते है. मछलियों की मांग विदेशो में भी बहुत अधिक होती है, इसलिए आप अपनी मछलियों का निर्यात विदेशो में भी कर सकते है. लेकिन हमारा मानना है कि आप शुरुआती समय में मछलियों को स्थानीय क्षैत्रो में बेंचे.

मछली पालन के दौरान किन-किन बातो का विशेष ध्यान रखे

  • तालाब या टंकी साफ होनी चाहिए.
  • तालाब बनाते समय बरसात का विशेष ध्यान रखे.
  • तालाब का निर्माण करने से पूर्व मिट्टी की जांच.
  • मछलियों का अन्य हानिकारक जीवो या कीड़ो से सुरक्षित रखे.
  • पानी साफ सुथरा तथा ऑक्सीजन युक्त होनी चाहिए.
  • मछलियों के आहार की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
  • मछलियों की समय समय पर जांच की जानी चाहिए.
  • मछली पालन के लिए अच्छी नस्ल का ही चयन करे.
  • भोजन शुद्ध होना चाहिए.
  • मछुआरो से सुरक्षित रहे.
  • मछलियों का अच्छी तरह से रखरखाव होना चाहिए.

मछलियों में होने वाले रोग

यदि आप हमारा लेख “मछली पालन  क्या है तथा मछली पालन  कैसे शुरु करे” पढने के बाद Fish Farming Business शुरु करना चाहते है तो इसे शुरु करने से आपको मछलियों में होने वाले इन सामान्य रोगो के बारें में जानकारी होनी चाहिए. यदि आप इन लक्षणो को मछलियों में देखते है तो चिकित्सक की मदद जरुर ले तथा समय पर उपचार करावे.

मछलियों में होने वाले रोगरोग के लक्षण
कोस्टिएसिसमछली के शरीर व गलफङो पर छोटे-छोटे धब्बेदार विकार उत्पन्न हो जाते है.
कतला का नेत्र रोगमछली की नेत्रो की कोर्निया का लाल होना तथा अंत में आंखो घिर जाना और गलफङो का रंग फीका होना आदि
इकथियोपथिरिऑसिसशरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग तथा अधिक श्लेष्मा का स्राव होना.
ट्राइकोडिनिओसिस तथा शाइफिडिऑसिसश्वसन करनें में कठिनाई आना तालाब के किनारे आकार शरीर को रघङना गलफङो व त्वचा पर अधिक श्लेष्मा का स्राव
मिक्सोस्पोरोडिऑसिसगलफङा, त्वचा, मोनपक्ष तथा अपरकुलम पर सरसो के दाने
सैपरोलगनियोसिसमछली के शरीर पर रुई के गोले जैसे सफेद भुरे रंग के गुच्छे बनना.
अल्सरशरीर, सिर तथा पूंछ पर घावों का होना.
ड्राप्सीमछलियों के आंतरिक अंगो में व उदर में पानी का जमा होना.
बैंकियोमाइकोसिसइस रोग में मछली के गलफङे सङ जाते है तथा रोगग्रसित मछली पानी की सतह पर आकर श्वसन करती है और बार-बार मुहं खोलती तथा बंद करती है.
फिश तथा टेलरोगरोग के शुरुआत में पंखो के किनारो पर सफेदी आती है तथा बाद में पंख व पूंछ सङने लगते है.
लिगुलेसिसइसमें उदर गुहा में कृमियो का जमाव होता है, जिससे उदर गुहा फुल जाती है.
आरगुलेसिसमछलियों पर लाल छोटे-छोटे धब्बे तथा कमजोर और विकृत रुप आदि
लरनिएसिस मत्स्यमछलियों में रक्त की कमी तथा कमजोरी आ जाती है तथा शरीर पर धब्बे पङते है.
कोसटिओसिसइस रोग के लक्षण के रुप में अत्यधिक श्लेष्मा का स्राव होना, श्वसन में कठिनाई होती है तथा उत्तेजना आदि दिखाई देते है.
डेक्टायलोगारोलोसिस तथा गायरडैक्टायलोसिकइससे गलफङे तथा त्वचा प्रभावित होती है तथा शरीर पर काले रंग के कोष्ट दिखाई देते है.
डिपलोस्टोमियेसिस या ब्लैक स्पाट रोगइस रोग से ग्रसित मछली में काले धब्बे दिखाई देते है.
मछलियों में होने वाले रोग

मत्स्य उद्योग शुरु करने के लाभ

वैसे देखा जाए तो मछली पालन के कई सारे फायदे है, जिन्हे हम निम्न बिंदुओ के अंतर्गत समझ सकते है.

  • विश्व की जनसंख्या का एक बहुत बङा हिस्सा मछली का उपयोग आहार के रुप में करता है. जिसके कारण मछली पालन के सफल होने की अपार संभावना है.
  • मछली में सर्वाधिक मात्रा में प्रोटिन तथा प्रचुर मात्रा में अन्य पोषक पदार्थ होने के कारण डॉक्टर भी इसकी सलाह देते है.
  • भारत में अनेक नदिया, झीले तथा तालाब है, जहां पर आप Fish Farming Business को शुरु कर सकते है.
  • भारत का वातावरण मछलियों के लिए उपर्युक्त है, अंत: मछली पालन  उद्योग को भारत में शुरु करने में जोखिम कम है. Fish Farming Business को नौकरी करने वाले लोग भी कर सकते है लेकिन उनके पास एक बङी जमीन तथा अच्छे मजदूर होने चाहिए.
  • इस उद्योग को गांवो में भी शुरु किया जा सकता है क्योंकि वहां पर बहुत कम दर में अच्छा काम करने वाले मजदुर मिल जाते है.
  • जल कृषि या मत्स्य उद्योग का ग्रामीण कृषि से जुङा होने के कारण सरकार ग्रामीण इलाको में जल कृषि बढावा देने के लिए कई सारी सरकारी योजनाए भी चला रही है.

FAQ: मछली पालन कैसे करे

मछली पालन क्या है?

मछलियों को बेंचने के उद्देश्य मछलियों का पालन पोषण करना ही मछली पालन कहलाता है.

मछली पालन कैसे शुरु करे?

मछली पालन शुरु करने के लिए इन बिंदुओ पर विचार-विमर्श जरुर करे – मछलियों के लिए तालाब बनाना या चयन करना, मछली की नस्ल का चुनाव करना, मछलियों के लिए खाने की व्यवस्था करना, मछलियों का प्रबंधन व देखभाल करना, मार्केटिंग करना इत्यादि.

मछली उत्पादन में भारत का स्थान कौनसा है?

उत्तर: मत्स्य उत्पादन में चीन के बाद भारत दुसरा स्थान रखता है. अर्थात चीन संपूर्ण विश्व में मत्स्य उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान रखता है.

मछली पालन के लिए उपयुक्त मछली में कौन-कौनसे लक्षण होने चाहिए?

मछली पालन के लिए प्रयुक्त मछली में निम्न गुण होने चाहिए- प्राकृतिक आवास से भोजन ग्रहण करने की क्षमता, बाह्य भोजन ग्रहण करने की क्षमता हो, कम भोजन में अधिक वृद्धि करे, शाहकारी तथा अन्य मछलियों के साथ रहने वाली होनी चाहिए,रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होनी चाहिए, अधिक प्रजनन क्षमता हो, स्वादिष्ट तथा पौष्टिक हो.

सबसे जल्दी बढनें वाली मछली का नाम क्या है?

कतला सबसे तेजी बढ़नें वाली मछलियों में से एक है. जो गंगा नदी के तट की प्रजाति है.

भारत में सर्वाधिक मछली उत्पादक राज्य कौनसा है?

गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है. जबकी अंतर्देशीय मछलियों का सर्वाधिक उत्पाद आंध्रप्रदेश में किया जाता है.

मछली पालन में कितना खर्चा आता है?

व्यवसायिक दृष्टि से मछली के उत्पादन के लिए 0.2 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होती है. इसमें Fish Farming Business शुरु करने के लिए 70 से 80 हजार रुपये की आवश्यकता होती है.

विश्व मत्स्य दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: संपूर्ण विश्व में सभी मछुआरे 21 नवम्बर को विश्व मत्स्य दिवस मनाते है.

मछली पालन के लिए लोन कैसे ले?

मछली पालन के लिए लोन लेने के लिए जिले के मत्स्य पालक विभाग से संपर्क करे. इसके अलावा आप अपने नजदीकी बैंक से भी लोन ले सकते है तथा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई सारी योजनाए भी चला रही है.

अंतिम शब्द: मछली पालन क्या है और कैसे शुरु करे

हम उम्मीद करते है कि आपको हमारा लेख “मछली पालन  क्या है तथा मछली पालन  कैसे शुरु करे” पसंद आया होगा तथा इससे आपको महत्वपूर्ण जानकारीयां प्राप्त हुई होगी. हमनें इस लेख में आप तक मछली पालन (Fish Farming Business) से संबधित सभी महत्वपूर्ण जानकारीयां आप तक पहुंचानें की कोशिश की है. अगर आपके पास मत्स्य उद्योग से संबधित को सवाल है तो उसे कमेंट में लिख जरुर बताएं. हम जल्द ही उस जवाब लेकर आएंगे.

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